अहमदाबाद -
देश भर में
परीक्षा के नतीजों ने बच्चों और उनके परिवारों के दिल की धड़कने बढ़ा कर रखी हैं.
जहां नतीजे नहीं आए हैं, वहां अभी भी
कैलेंडर पर नज़र रखी जा रही है. वहीं जहां रिज़ल्ट आ चुके हैं, वहां बच्चों के भविष्य की योजना बनाई जा
रही है. लेकिन गुजरात बोर्ड में अव्वल आए वर्शिल शाह ने अपने लिए कुछ अलग ही
रास्ता चुना है.
अहमदाबाद के रहने वाले 17 साल के वर्शिल शाह का जब रिजल्ट आया तो उनके घर
में भी खुशी थी. वर्शिल फर्स्ट डिवीजन में ही पास नहीं हुआ है बल्कि उसने 99.9 फीसद अंक लाकर इतिहास रच दिया. उसने गुजरात बोर्ड
की परीक्षा में टॉप किया है. अब आप सोच रहे हैं होंगे की वर्शिल क्या बनना चाहता
है... अपने
माता-पिता से अपनी इस मेहनत का इनाम मांगने की बजाए वर्शील ने संसार का त्याग कर
जैन साधु बनने की
इजाजत मांगी. वर्शिल का यह कदम आपको हैरान कर सकता है क्योंकि वह डॉक्टर, इंजीनियर या कोई अधिकारी नहीं बनना चाहता है, वह जैन साधु बनने जा रहा
है
हैरानी की
बात यह है कि वर्शील के माता-पिता को भी अपने बेटे के इस फैसले पर कोई पछतावा नहीं
है और पूरा परिवार वर्शील के दीक्षा समारोह की तैयारियों में जुटा है जो 8 जून गुरुवार को सूरत में होगा. वर्शील के
पिता जिगर शाह कहते हैं कि उनका परिवार शुरू से ही आध्यात्म की तरफ अधिक झुकाव
रहा.
जिगर इनकम
टैक्स डिपार्टमेंट में इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं. जिगर कहते हैं, 'मेरी पत्नी अमी बहुत ज्यादा धार्मिक
स्वभाव की है और मेरे बच्चे वर्शील और उसकी बहन का भी धर्म और अध्यात्म की तरफ
झुकाव है. वास्तव में जब वर्शील की स्कूल की छुट्टियां होती थीं तो कहीं घूमने
जाने की बजाए वह सत्संग में जाना पसंद करता था.'
इन सत्संगों
के दौरान ही वर्शील कई जैन मुनियों और संन्यासियों के संपर्क में आया जो संन्यासी
बनने से पहले डॉक्टर, इंजिनियर और
चार्टर्ड अकाउंटेंट थे लेकिन असली खुशी उन्हें दीक्षा लेने के बाद ही मिली.
परिवार में बेहद सादगी
वर्शिल की मां अमिबेन शाह और पिता जिगरभाई आयकर विभाग में हैं. इन दोनों ने अपने बेटे वर्शिल और बेटी जैनिनी को बहुत सादगी से जीवन जीना सिखाया है. पति-पत्नी दोनों ही जैन धर्म के बड़े अनुनायी हैं इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि घर में बिजली के इस्तेमाल तभी किया जाता है जब जरूरत होती है. इनका मानना है कि बिजली पैदा करने की जो प्रक्रिया है उससे कई मासूम जानवरों की मौत हो जाती है. घर में टीवी और फ्रिज भी नहीं है..
वर्शिल की मां अमिबेन शाह और पिता जिगरभाई आयकर विभाग में हैं. इन दोनों ने अपने बेटे वर्शिल और बेटी जैनिनी को बहुत सादगी से जीवन जीना सिखाया है. पति-पत्नी दोनों ही जैन धर्म के बड़े अनुनायी हैं इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि घर में बिजली के इस्तेमाल तभी किया जाता है जब जरूरत होती है. इनका मानना है कि बिजली पैदा करने की जो प्रक्रिया है उससे कई मासूम जानवरों की मौत हो जाती है. घर में टीवी और फ्रिज भी नहीं है..
जिगर शाह
कहते हैं, 'हम उदास थे
क्योंकि हमने उसके भविष्य को लेकर कई सपने देखे थे. लेकिन वर्शील ने कभी हमसे कुछ
नहीं मांगा. इसलिए पहली बार जब उसने कुछ मांगा संसार का त्याग करने की उसकी इच्छा
तो हमने उसे भी मान लिया. दीक्षा से वर्शील को खुशी मिलेगी और उसे खुश देखकर हम भी
खुश रहेंगे.'
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