नीमच। एशो-आराम की जिंदगी पाने के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते लेकिन एक जोड़ा ऐसा है जो ये सब त्यागने जा रहा है। करोड़ों की संपत्ति का मालिक ये कपल संत बनने की चाह रखता है और इसलिए दुनिया के सभी मोह छोड़ने का फैसला लिया है। दोनों की एक बेटी भी है।
मध्य प्रदेश के नीमच शहर के रहने वाले सुमित राठौड़ और उनकी पत्नी अनामिका 23 सितंबर 2017 को सूरत में आचार्य श्री रामलाल जी महाराज साहेब के पास दीक्षा लेकर जैन संत और जैन साध्वी बनने जा रहे हैं
मध्य प्रदेश के नीमच शहर के रहने वाले सुमित राठौड़ और उनकी पत्नी अनामिका ने संत बनने का फैसला लिया है। दोनों की नीमच में 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है। सुमित का परिवार काफी रसूख वाला है और नीमच में उनका बड़ा बिजनेस है। लंदन से बिजनेस में डिप्लोमा कर चुके सुमित ने दो साल तक वहीं नौकरी भी की थी लेकिन फिर फैमिली बिजनेस संभालने देश वापस आ गए।
अनामिका के पिता पूर्व भाजपा अध्यक्ष
उनकी कंपनी की वैल्यू 10 करोड़ से ज्यादा की है और करीब 100 लोग उनके लिए काम करते हैं। परिवार के स्टेटस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कंपनी में अंग्रेजों का बनाया हुआ कॉमर्शियल कैंपस है। वहीं अनामिका भी बड़े घराने से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता अशोक चंडालिया चित्तौड़गढ़ भाजपा के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। अनामिका ने इंजीनियरिंग की है और शादी से पहले लाखों की नौकरी करती थीं। अपनी गृहस्थी संभालने के लिए अनामिका ने नौकरी छोड़ दी थी।
3 साल की बेटी को भी छोड़ने को तैयार
सुमित और अनामिका की एक तीन साल की बेटी भी है जिसके सिर से मां-बाप का साया छिनने वाला है। दोनों को परिवार वालों ने समझाने की काफी कोशिश की लेकिन ये कपल अपने फैसले पर अडिग है। दोनों का कहना है कि ये बच्ची बहुत पुण्यशाली है, इसके गर्भ में आते ही उन्हें आत्मकल्याण का बोध हो गया है और यही कारण है कि उन्होंने संत बनने का फैसला किया है।
बेटी जब आठ महीने की हुई, तभी सुमित और अनामिका ने शीलव्रत यानि ब्रह्मचर्य पालन करने का नियम ले लिया था । परिजनों को तभी ये महसूस हो गया था, कि दीक्षा लेंगे, पर इतनी जल्दी ये निर्णय ले लेंगे ये उन्होने नहीं सोचा था । धन्य हो सुमित जी और अनामिका जी को, जो इस भौतिक चकाचौंध के वातावरण में इन्होने दुष्कर संयम पालन करने का निर्णय लिया ।