दीपावली जैन पूजन
विधि
Ø स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ
वस्त्र परिधान पहनकर पूर्व या उत्तर दिशा सन्मुख शुद्ध आसन पर बैठकर आसन के सामने
पाटे पर नया लाल
वस्त्र बिछाकर शुभ मुहुर्त में तीर्थंकर भगवान् श्री महावीर स्वामी जी, श्री
महालक्ष्मी जी और श्री सरस्वती जी की फोटो स्थापित करें ।
Ø शुभ मुहुर्त में नूतन वर्ष हेतु लाये सभी नए बही – खाते, कलम, दवात को किसी
चौकी या पाटे पर स्थापित करें ।
Ø स्वच्छ जल से भरा कलश (लोटा) आरती की थाली में रखें । लोटे
के मौली बाँध देवें । आरती की थाली में सवा रुपया रोकड़ा / चांदी के सिक्के, मौली
से लपेटा हुआ श्रीफल, अखंड सात सुपारी, अक्षत (चावल), नैवैध्य (मिष्ठान), कपूर आदि
रखें ।
Ø पाट के दाहिनी ओर घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें और बायीं ओर
धुप या अगरबत्ती करें ।
Ø उपस्थित सभी के मस्तक पर तिलक कर अक्षत लगायें ।
Ø पूजन करने वालों को तीन नवकार महामंत्र का जाप करते हुए
दाहिने हाथ की कलाई में मौली बांधनी चाहिए । फिर एक एक नवकार गिनते हुए कलम और दवात पर भी मौली बांध
देनी चाहिए ।
Ø नई बही के प्रथम पाने में सर्व प्रथम ॐ अर्हम नमः एवं णमोत्थुणं
समणस्स भगवओ महावीरस्स लिखना चाहिए । फिर 1 से लेकर 9 लकीरों में मेरु शिखर
की भांति 1 श्री से प्रारम्भ करके क्रमशः 9 श्री अंकित करें । उसके नीचे रोली
(कुंकुम) का स्वस्तिक बनावें । फिर आजू – बाजू “श्री शुभ” और “श्री लाभ” लिख दें ।
चित्र
श्री
श्री श्री
श्री श्री श्री
श्री श्री श्री श्री
श्री श्री श्री श्री श्री
श्री श्री श्री श्री श्री श्री
श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री
श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री
श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री
Ø इसके पश्चात नीचे लिखे अनुसार लिखना आरंभ करना चाहिए –
श्री आदिनाथाय नमः, श्री
शांतिनाथाय नमः, श्री पार्श्वनाथाय नमः, श्री महावीराय नमः, श्री कुलदेवी जी नमः,
श्री सद्गुरुभ्यो नमः,
श्री गौतम स्वामी जी की
लब्धि, श्री भरत चक्रवर्ती जी की ऋद्धि, श्री बाहुबली जी का बल, श्री अभय कुमार जी
की बुद्धि, श्री कवयन्ना जी का सौभाग्य, श्री धन्ना शालिभद्र जी की सम्पति, श्री
श्रेयांस कुमार जी की दानवृति, श्री पुणिया श्रावक जी सा संतोष प्राप्त हो जी ।
Ø तत्पश्चात श्री वीर सम्वत् 2547, विक्रम सम्वत् 2078, शुभ
मिती कार्तिक वदी ३०, शुभ वार ................ को प्रभु महावीर, महालक्ष्मी जी,
सरस्वती जी का पूजन शुभ मुहुर्त में ठाठ बाट से, हर्ष – उल्लास से, बड़े भक्ति भाव
से किया । दिनांक एवं समय ..........
Ø फिर स्वस्तिक पर नागरबेल का अखंड पान, सुपारी, लौंग, इलायची
रख दें ।
Ø सभी बही खाते, बिलबुक आदि को दुकान / ऑफिस की गादी पर या
मेज पर खोलकर रखें और प्रत्येक बही खाते पर नागरबेल पान का पत्ता रखकर उस पर
सुपारी, इलायची, लौंग रख दें ।
Ø फिर चलती जलधारा बही के चारों ओर देकर वासक्षेप, अक्षत,
पुष्प, कुसुमांजलि हाथ में लेकर नीचे लिखा श्लोक और मंत्र उच्चारण करें –
Ø मंगलं भगवान् वीरो, मंगलं गौतम प्रभु: । मंगलं स्थुलि
भद्राद्या:, जैन धर्मोस्तु मंगलं ।
Ø मंत्र – ॐ आर्यावर्ते अस्मिन जम्बू द्वीपे, दक्षिणार्ध भरत
क्षेत्रे भारत देशे............ नगरे ममगृह श्री शारदा देवी, लक्ष्मी देवी आगच्छ
आगच्छ, तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा: ।।
Ø यह मंत्र पढ़कर हाथ में ली हुई कुसुमांजलि चढ़ा देवें । फिर
नीचे लिखी स्तुति पढ़ें :-
:- पंच
परमेष्ठी स्तुति :-
स्व श्रीयं
श्रीमद् अर्हन्त:,सिद्धा सिद्धि पुरिपदम ।
आचार्य: पंचधाचारं,
वाचका वाचनविराम ।।
साधव: सिद्धि
साहाय्यं, वितवन्तु विवेकिनाम ।
मंगलानां च
सर्वेषाम्, आद्यं भवति मंगलम ।।
अर्हम
मित्यक्षरं माया – बीजं च प्रणवाक्षरम ।
एवं नाना
स्वरूपं च, ध्येयं ध्यायन्ति योगिनः ।।
हृतपदम्
षोडशदल, स्थापितं षोडशाक्षरम ।
परमेष्ठी स्तुते
बीजं, ध्यायेदक्षरदम मुदा ।।
मंत्रणामादिम
मंत्रं, तंत्रं विघ्नौघ निग्रहे ।
ये स्मरन्ति
सदैवैनं, ते भवन्ति जिन प्रभा: ।।
Ø उपरोक्त प्रकार से स्तुति पठन कर नीचे दिए गए मंत्र को पढ़कर
आठ द्रव्यों से पूजन करना चाहिए :-
Ø जल पूजा :- ॐ ह्रीं श्री
भगवत्ये केवल ज्ञान स्वरुपाये, लोका – लोक प्रकाशिकाये, सरस्वत्ये, लक्ष्म्ये जलं
समर्पयामि स्वाहा: ।। ( जल सिंचन करें )
Ø चन्दन पूजा :- ॐ
ह्रीं श्री भगवत्ये केवल ज्ञान स्वरुपाये, लोका – लोक प्रकाशिकाये, सरस्वत्ये,
लक्ष्म्ये चंदनम समर्पयामि स्वाहा: ।। ( बही खातों पर चंदन सिंचन करें )
Ø पुष्प पूजा :- ॐ
ह्रीं श्री भगवत्ये केवल ज्ञान स्वरुपाये, लोका – लोक प्रकाशिकाये, सरस्वत्ये,
लक्ष्म्ये पुष्पं समर्पयामि स्वाहा: ।। ( पुष्प पूजा करें )
Ø धूप पूजा :- ॐ
ह्रीं श्री भगवत्ये केवल ज्ञान स्वरुपाये, लोका – लोक प्रकाशिकाये, सरस्वत्ये,
लक्ष्म्ये धूपं समर्पयामि स्वाहा: ।। ( धूप / अगरबत्ती पूजा करें )
Ø दीप पूजा :- ॐ
ह्रीं श्री भगवत्ये केवल ज्ञान स्वरुपाये, लोका – लोक प्रकाशिकाये, सरस्वत्ये,
लक्ष्म्ये दीपं समर्पयामि स्वाहा: ।। ( दीप पूजा करें )
Ø अक्षत पूजा :- ॐ ह्रीं
श्री भगवत्ये केवल ज्ञान स्वरुपाये, लोका – लोक प्रकाशिकाये, सरस्वत्ये, लक्ष्म्ये
अक्षतं समर्पयामि स्वाहा: ।। ( अक्षत बही खातों पर उछालें )
Ø नैवैध्य पूजा :- ॐ
ह्रीं श्री भगवत्ये केवल ज्ञान स्वरुपाये, लोका – लोक प्रकाशिकाये, सरस्वत्ये,
लक्ष्म्ये नैवैध्यम समर्पयामि स्वाहा: ।। ( नैवैध्य पूजा करें )
Ø फल पूजा :- ॐ ह्रीं श्री
भगवत्ये केवल ज्ञान स्वरुपाये, लोका – लोक प्रकाशिकाये, सरस्वत्ये, लक्ष्म्ये फलं
समर्पयामि स्वाहा: ।। ( फल चढ़ाएं )
Ø इसके पश्चात् जितने पूजक उपस्थित हों, सब खड़े होकर हाथ जोड़कर
एक साथ स्तोत्र पाठ करें
:- श्री शारदा
स्तोत्र :-
सकल लोक
सुसेवित पंकजा, वर यशोर्जित शारद कौमुदी ।
निखिल कल्मष
नाशन तत्परा, जयतु सा जगतां जननी सदा ।। 1 ।।
कमल गर्भ
विराजित भूधना, मणि किरीट सुशोभित मस्तका ।
कनक कुंडल
भूषित कर्णिका, जयतु सा जगतां जननी सदा ।। 2 ।।
बसु हरिद्गज संस्नपितेश्वरी,
विद्य्तु सोम्कला जगदीश्वरी ।
जलज पत्र समान
विलोचना, जयतु सा जगतां जननी सदा ।। 3 ।।
निज सुधैर्य
जितामर भूधरा, निहित पुष्कर वृन्दला सत्करा ।
समुदितार्क
सहत्तनु वल्लिका, जयतु सा जगतां जननी सदा ।। 4 ।।
विविध वांछित
काम दुधादभूता, विषद पद्म हृदांतर वासिनी ।
सुमतिसागर
वर्धन चन्द्रिका, जयतु सा जगतां जननी सदा ।। 5 ।।
:- श्री
महालक्ष्मी स्तोत्र :-
नमोस्तुते
महालक्ष्मी, महासौख्य प्रदायिनी । सर्वदा देहि मे द्रव्यं, दानाय मुक्ति हेतवे ।।
1 ।।
धनं धान्यं धरा
हर्षं, कीर्तिमायुर्यश: श्रियम् । तुरंगान दन्तिन: पुत्रान्, महालक्ष्मी प्रयच्छमे
।। 2 ।।
यन्मया वांछितं
देवी, तत्सर्व सफलं कुरु । न वान्द्यन्ता कुकर्माणि, संकटान्ये निवारय ।। 3 ।।
:- प्रार्थना
:-
सुन्दर आरोग्य
निवास करे दृढ़ तन में । आशा उत्साह उमंग भरे, शुचि मन में ।।
हो अनुचित योग –
प्रयोग, न धन साधन में । उत्कृष्ट उच्च आदर्श, जगे जीवन में ।।
तम मिटे ज्ञान
की ज्योति, जगत में छाये । प्रभु ! दिव्य दिवाली, भव्य भाव भर जाये ।।
Ø उपरोक्त स्तुति – प्रार्थना बोलने के बाद आरती की थाली में
दीपक और कपूर से आरती उतारें :-
:- आरती :-
सकल जिनन्द नमी करी, जिनवाणी मन लाय ।
सरस्वती, लक्ष्मी करूँ आरती, आतम सुगुरु पसाय
।।1।।
ज्ञान जगत में सार है, ज्ञान परम हितकार ।
ज्ञान सूर्य से होत है, दुरित तिमिर अपहार
।।2।।
श्री सरस्वती प्रभाव से, लहे जगत सम्मान ।
ज्ञान बिना पशु सारिखा, पावे अति अपमान ।।3।।
श्रध्दा मूल क्रिया कही, ज्ञान मूल है तास ।
पावे शिव सुख आत्मा, इससे अविचल वास ।।4।।
अष्टम पद विशंति पदे, सप्तम नवपद ज्ञान ।
तीर्थंकर पदवी लहे, आराधक भगवान् ।।5।।
Ø उपरोक्त आरती उतारने के पश्चात श्री गौत्माष्टक पाठ करें :-
:- श्री गौत्माष्टक :-
अंगुष्ठे अमृत बसे, लब्धि तणा भण्डार । श्री
गुरु गौतम समरिये, वांछित फल दातार ।।1।।
प्रभु वचने त्रिपदी लही, सूत्र रचे तेणी वार
। चउदह पूरव मां रचे, लोका लोक विचार ।।2।।
भगवती सूत्रे कर नमी, बंभी लिपि जयकार । लोक
लोकोत्तर सुख भणी, वाणी लिपि अठार ।।3।।
वीर प्रभु सुखिया थया, दीवाली दिन सार । अंतर
मुहुर्त तत्क्षणे, सुखिया सहु संसार ।।4।।
केवल ज्ञान लहे सदा, श्री गौतम गणधार । सुरनर
पर्षदा आगले, षट अभिषेक उदार ।।5।।
सुरनर पर्षदा आगले, भाखे श्री श्रुतनाण । नाण
थकी जग जाणिये, द्र्व्यादिक चउ ठाण ।।6।।
ते श्रुतज्ञान ने पूजिए, दीप धूप मनोहार । वीर
आगम अविचल रहो, वर्ष इक्कवीस हजार ।।7।।
गुरु गौतम अष्टक कही, आणी हर्ष उल्लास । भाव
धरी जे समरसे, पूरे सरस्वती आश ।।8।।
Ø अब उपरोक्त गौतम अष्टक पाठ के बाद पूर्व या उत्तर दिशा
सम्मुख होकर एकाग्र चित से निम्न सरस्वती मंत्र की 1 या 3 माला फेरनी चाहिए ।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लूं ह्रीं ऐ नमः ।।
Ø इस मंत्र का जाप करने के बाद पूजन में अज्ञानवश कोई दोष लगा
हो, उसके लिए निम्नलिखित श्लोक पढ़ते हुए क्षमा याचना करनी चाहिए ।
:- क्षमायाचना :-
आज्ञाहीनं क्रियाहीनं, मंत्रहीनं च यत्कृतं । तत्सर्व
क्षम्यतां देवी प्रसाद परमेश्वरी ।। 1 ।।
आह्वानम नैव जानामि, न जानामि विसर्जनम । पूजार्चा नैव
जानामि, क्षमस्य परमेश्वरी ।। 2 ।।
अपराध सहस्त्राणि, क्रियन्ते नित्यशौमया । तत्सर्व
क्षम्यतां देवी प्रसाद परमेश्वरी ।। 3 ।।
Ø इन श्लोकों द्वारा क्षमायाचना कर पूजन विधि सम्पूर्ण हुई
समझ कर निर्धन, निराश्रित, जरूरतमंद याचकों को यथाशक्ति द्रव्यादिक दान देना चाहिए
और माध्यम श्रेणी के स्वधर्मी भाइयों की बने वहाँ तक भक्ति का लाभ लेना चाहिए ।
:- दीपावली जाप :-
Ø
णमोत्थुणं
समणस्स भगवओ महावीरस्स ।।
दीपावली
के दिन सामर्थ्य अनुसार तप करके शुद्ध भाव से ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए
अर्धरात्री तक इस मंत्र की माला फेरें ।
Ø
ॐ ह्रीं श्रीं
महावीर स्वामी सर्वज्ञाय नमः ।।
इस
मंत्र की बीस माला मध्य रात्रि के समय धुप दीप के साथ करें ।
Ø
ॐ ह्रीं श्रीं
महावीर स्वामी पारंगताय नमः ।।
इस
मंत्र की बीस माला रात के 4 बजे से पहले – पहले पूरी कर लेनी चाहिए ।
Ø
ॐ ह्रीं श्रीं
गौतम स्वामी केवलज्ञानाय नमः ।।
इस मंत्र की
बीस माला सूर्योदय तक पूरी करके मंदिर / उपाश्रय में दर्शन एवं लाडू चढ़ाने की विधि
पूरी करें । तत्पश्चात गुरुदेव को वंदन करें तथा उनके मुखारविंद से श्री गौतमरास
को एकाग्रता पूर्वक श्रवण करना चाहिए ।
:- श्री महालक्ष्मी जी का जाप :-
ॐ नमो भगवती लक्ष्मी देवी सर्वजन मोहिनी सर्व कार्यकारिणी –
विघ्न – संकटहरणी, मम मनोरथ पूरणी, मम चिंता चूरणी ॐ नमो लक्ष्मी देवी नमः स्वाहा
।।
दीपावली पूजन करने के पश्चात् 1-2 माला इस जाप की अवश्य
करनी चाहिए । नित्य प्रति 21 बार करते रहने से आपको अपनी आर्थिक स्थिति में
आश्चर्यजनक परिवर्तन प्राप्त होगा
2 |
28 |
8 |
30 |
16 |
22 |
10 |
20 |
26 |
4 |
32 |
6 |
24 |
14 |
18 |
12 |
दीपावली
पूजन उपरोक्त विधि से करके प्रभु महावीर की भक्ति करें, पूजन करना पूर्णत आपकी
भावना और स्वेच्छा पर निर्भर है ।
हार्दिक शुभकामनाओं सहित
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